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जिंदा लोगों की भीड़ में ऐसे पहचाने भूत-प्रेत को

  जिंदा लोगों की भीड़ में ऐसे पहचाने भूत-प्रेत को कहा जाता है कि प्रेतात्मा आदमी का रूप धर कर कहीं भी आ जा सकती है। वह आपके परिचित का रूप धर...

 

जिंदा लोगों की भीड़ में ऐसे पहचाने भूत-प्रेत को

जिंदा लोगों की भीड़ में ऐसे पहचाने भूत-प्रेत को


कहा जाता है कि प्रेतात्मा आदमी का रूप धर कर कहीं भी आ जा सकती है। वह आपके परिचित का रूप धरकर आपसे मनचाहा कार्य भी करवा सकती है। ऎसे में यदि कुछ खास उपायों को काम में लिया जाए तो आप हजारों लोगों के बीच में मौजूद प्रेतात्मा को पहचान सकते हैं, अपने आप को उनसे बचा सकते हैं।

प्रेतात्माओं की पलक नहीं झपकती। उनकी आंखों को देखने पर ऎसा लगता है जैसे कि वो शून्य में घूर रहे हो, उनकी आंखों में एक असीम सी गहराई महसूस होती है जिसमें आपका दिल खो जाने को मन करता है। यदि वह आत्मा अच्छी है तो आपका उन आंखों में देखने पर अच्छा महसूस होगा जबकि बुरी आत्मा होने पर आपका दम सा घुटने लगेगा।

पारलौकिक विशेषज्ञों के अनुसार भूत-प्रेत, चुडैल, जिन्न आदि मानव शरीर की तरह नहीं होते। उनका शरीर पंच तत्वों के बजाय केवल तीन तत्व अग्नि, वायु और आकाश का ही बना होता है। ऎसे में प्रेतात्माओं के शरीर की परछाई नहीं बन पाती। जब भी आप किसी ऎसे व्यक्ति को देखे जिसकी रोशनी होने के बावजूद भी परछाई नहीं बन पा रही है तो निश्चित मानिए कि वह प्रेत है।

प्रेतात्माएं धरती के गुरूत्व बल से मुक्त होती है। उनके पैर पूरी तरह से जमीन पर नहीं अड़ते। यदि आप ध्यान से देखेंगे तो उनके शरीर और जमीन के बीच स्पष्ट अंतर दिखाई देगा जो कि इस बात का प्रतीक है वह सामान्य व्यक्ति न होकर कुछ अन्य है।

यदि आपके पास मिरर या कोई ऎसी वस्तु है जिसमें प्रतिबिम्ब देखा जा सके तो आप उसे भी प्रेतात्मा की पहचान करने के लिए काम में ले सकते हैं। यदि किसी व्यक्ति का प्रतिबिम्ब दर्पण में नहीं दिखाई दे रहा है तो उसे भी प्रेत माना जाता है।

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